साक्ष्य चाहिए तुम्हें कैसा, प्रेम नहीं हैं धर्म जै | हिंदी फ़िल्म

"साक्ष्य चाहिए तुम्हें कैसा, प्रेम नहीं हैं धर्म जैसा। न धागा न ताबीज़... रंग सूफ़ी ये कोरा ऐसा।। तुम कागजी चाल चाहते हो, ज़माने से मिसाल चाहते हो। मेरी तिश्नगी मेरी प्रेरणा... तुम जां 'गुस्ताख़' चाहते हो।। ©गुस्ताख़शब्द"

 साक्ष्य चाहिए तुम्हें कैसा,
प्रेम नहीं हैं धर्म जैसा।
न धागा न ताबीज़...
रंग सूफ़ी ये कोरा ऐसा।।

तुम कागजी चाल चाहते हो,
ज़माने से मिसाल चाहते हो।
मेरी तिश्नगी मेरी प्रेरणा...
तुम जां 'गुस्ताख़' चाहते हो।।

©गुस्ताख़शब्द

साक्ष्य चाहिए तुम्हें कैसा, प्रेम नहीं हैं धर्म जैसा। न धागा न ताबीज़... रंग सूफ़ी ये कोरा ऐसा।। तुम कागजी चाल चाहते हो, ज़माने से मिसाल चाहते हो। मेरी तिश्नगी मेरी प्रेरणा... तुम जां 'गुस्ताख़' चाहते हो।। ©गुस्ताख़शब्द

“Kise chahiye mann ka sona, aankh ke moti? Kise padi hai andar kya hai?”

तारा- “Ye tum nahi ho Ved. ye sab nakli hai.”
वेद- “Wo toh acting thi naa. Wo mai role play kar raha tha. Aur ye mai real mei hoon.”

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