यूँ तन्हा अकेले मेरे सनम आख़िर क्या सोचते रहते हो..
सुर्ख निगाहों से हर पल आख़िर क्या खोजते रहते हो..
हम दूर सही पर अलग नही,हम दिल मे तुम्हारे रहते हैं..
कभी हँसी में खिलते हैं,तो कभी आँसू बनकर बहते हैं..
यह हमे पता है जानेमन तुम,कभी हमे भूल न पाओगी..
बस दिल पे हाथ रखकर देखो कभी हमे दूर न पाओगी..
ख़ामख़ा क्यों दिल हो जलाते,और मन कचोड़ते रहते हो..
यूँ तन्हा अकेले मेरे सनम आख़िर क्या सोचते रहते हो..
©Lalit shrivastava sabdvanshi
क्या सोचते रहते हो ❤❤
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