"White उनके इश्क़ में इस कदर दीवाने हुऐ जा रहे हैं
सहरा में मानो बर्फ के टुकड़े हम हुऐ जा रहे हैं
सुर्ख होठों-सा इस जहां में रंग कोई औऱ नहीं
लिखें ख़त पढ़कर अब वो गुलाब हुऐ जा रहे हैं
जो नज़रे उठे तो सहर दिखे जुके तो शब मिले
जुल्फों में अब परवाने उनके पतंगे हुऐ जा रहे हैं
उन्हें देखा तो जैसे वक़्त वही थम गया मानो
के हश्र-ए-यार मिरे अब शायर हुऐ जा रहे हैं
उन्हें निगाहों का गुल कहूँ या सुकून "कुमार"
यूँ तो शख्श वो आम हैं पर खास हुऐ जा रहे हैं
— кυмαя✍️
©The Unstoppable thoughts
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