रहन सहन सधारण से वस्त्र ना कोई बदन पे आभूषण चेहरा | English Shayari

"रहन सहन सधारण से वस्त्र ना कोई बदन पे आभूषण चेहरा मासूम सा! आँखों में बड़े सपने देखनें के लिए इस दिल में हौसला बुलंद सा! एक नारी जिसनें ज़िंदगी मे कभी हार ना मानी! हर घर में मिलेगी आप को संघर्ष की सफलता की अनेकों ऐसी नारी की कहानी! दिखावे की शौक की ज़िंदगी सच झूठ का मन में इक भर्म का जाल है! रहन सहन के उपर आज भी कई लोगों के मन में कई सवाल है! रहन सहन तो सबके अलग अलग है! सबके धर्म कर्म अलग अलग है! ©abhishek sharma"

 रहन सहन सधारण से वस्त्र ना कोई 
बदन पे आभूषण चेहरा मासूम सा! 

आँखों में बड़े सपने देखनें के 
लिए इस दिल में हौसला बुलंद सा! 

एक नारी जिसनें ज़िंदगी
मे कभी हार ना मानी! 

हर घर में मिलेगी आप को संघर्ष की
 सफलता की अनेकों ऐसी नारी की कहानी! 

दिखावे की शौक की ज़िंदगी सच 
झूठ का मन में इक भर्म का जाल है! 

रहन सहन के उपर आज भी 
कई लोगों के मन में कई सवाल है! 

रहन सहन तो सबके अलग अलग है! 
सबके धर्म कर्म अलग अलग है!

©abhishek sharma

रहन सहन सधारण से वस्त्र ना कोई बदन पे आभूषण चेहरा मासूम सा! आँखों में बड़े सपने देखनें के लिए इस दिल में हौसला बुलंद सा! एक नारी जिसनें ज़िंदगी मे कभी हार ना मानी! हर घर में मिलेगी आप को संघर्ष की सफलता की अनेकों ऐसी नारी की कहानी! दिखावे की शौक की ज़िंदगी सच झूठ का मन में इक भर्म का जाल है! रहन सहन के उपर आज भी कई लोगों के मन में कई सवाल है! रहन सहन तो सबके अलग अलग है! सबके धर्म कर्म अलग अलग है! ©abhishek sharma

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