बीत गया कल हो सकता है देकर कुछ आघात, नई सुब | हिंदी कविता

"बीत गया कल हो सकता है देकर कुछ आघात, नई सुबह के साथ करो फिर जीवन की शुरुआत, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra"

 बीत गया कल हो सकता है 
     देकर कुछ आघात, 
नई सुबह के साथ करो फिर 
     जीवन की शुरुआत, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

बीत गया कल हो सकता है देकर कुछ आघात, नई सुबह के साथ करो फिर जीवन की शुरुआत, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#बीत गया#

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