Hiii Dear...
कैसे हों ? आज हर बार कि तरह इस बार भी दुआ - ए - इश्क के साथ तुमसे कहना हैं कुछ ...
मुंतजिर हूं हमारे इश्क़ बुलावे का ,जिसकी ख्वाईश दोनों ने की थी ।
और अब यकीं आ रहा दिल के समंदर के तह पे उस उम्मीद भरी एहसास पे ,
जो अब भी तुम्हारे नाम से पुलकित होती है ।
इस थकान भरी सफर में तुम्हारी चेहरे की वो मुस्कान है ना,वो इस थकान की मिठास है , इसे हमेशा ऐसे ही रहने देना ।
जब से इन आंखों को तुम दिखे हो ,इस्तेकबाल में बैठी है । खैर तुम्हारा वजूद ही काफी है हमारी खुशियों के लिए।
चांद को जमीं पे लाने वाले इस समाज पे मुझे तुम्हारा दवा लाना ही पसंद है।
हवाओं महल से तारुख रखने वालो के बीच तुम्हारा ,मेरी तकलीफ़ बांट लेना ही सब कुछ है मेरे लिए।
इस शहर की हवाओं ने खैरियत मांगी है तुम्हारी । जवाब तुम्हारा होगा।
अरे हां! ख्याल रखना अपना ,किसी के मुस्कुराहट की वजह हो तुम।।
तुम्हारे इंतजार में..
तुम्हारी ....
©Meantime Morjana 0808
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