आंखों से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है , गुजरता है गुजर जायेगा
क्या ही सोचना, क्या होगा जिंदगी में
इन तजुर्बों से भी तो रहगुज़र जायेगा
अपनी कश्ती का खेवैया खुद ही बन
है आज जो हमसफ़र कल मुकर जायेगा
तेरे छांव को ही घर माना है उसने
तेरे इंकार की हिम्मत देख, वो डर जायेगा
एक शिक्स्त के बाद, जब घाव अपनों के मिले उसे
टूटा तो था ही अब बिखर जायेगा
इज्जत मत उछाल, इस बंट-बंटवारे में उसकी
मामूली सा इंसान है, सब्र कर जायेगा
#lifepoetry
#thoughtoftheday