दर्द यूँ बार-बार होता है सब्र करना बे-कार होता है | हिंदी शायरी

"दर्द यूँ बार-बार होता है सब्र करना बे-कार होता है होठ दोनों के चुप ही रहते हैं पर आँखों में इश्तिहार होता है ©Ghumnam Gautam"

 दर्द यूँ बार-बार होता है
सब्र करना बे-कार होता है
होठ दोनों के चुप ही रहते हैं पर
आँखों में इश्तिहार होता है

©Ghumnam Gautam

दर्द यूँ बार-बार होता है सब्र करना बे-कार होता है होठ दोनों के चुप ही रहते हैं पर आँखों में इश्तिहार होता है ©Ghumnam Gautam

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#चुप
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