Unsplash जवानी में कमाई के कई आयाम गढ़ डाले ....
फलसफे न जाने कितने हर शाम पढ़ डाले ...
शिद्दत से इंतजार है कि फिर से दिन वही आए..
हम सब्जी से बचायें चार पैसे और घर आए..
खनक उन चार पैसों की दोबारा मिल नहीं पाई..
खुद के लाखों रुपयों में वो खनक ही नहीं आई..
©Amit Tiwari
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