कुछ अल्फ़ाज़:- "दिल अब कहाँ धड़कते है, इश्क़ के गुल अ | हिंदी लव

"कुछ अल्फ़ाज़:- "दिल अब कहाँ धड़कते है, इश्क़ के गुल अब कहाँ खिलते है, हवस की आग में रोज़ जिस्म जलते है, लम्स की सौगात के लिए, हुस्न रोज़ बाज़ार में पैसे से बिकते है," ©ALFAZ DIL SE"

 कुछ अल्फ़ाज़:-

"दिल अब कहाँ धड़कते है,
इश्क़ के गुल अब कहाँ खिलते है,
हवस की आग में रोज़ जिस्म जलते है,
लम्स की सौगात के लिए,
हुस्न रोज़ बाज़ार में पैसे से बिकते है,"

©ALFAZ DIL SE

कुछ अल्फ़ाज़:- "दिल अब कहाँ धड़कते है, इश्क़ के गुल अब कहाँ खिलते है, हवस की आग में रोज़ जिस्म जलते है, लम्स की सौगात के लिए, हुस्न रोज़ बाज़ार में पैसे से बिकते है," ©ALFAZ DIL SE

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