दूरियां काफी है ना?
तेरा अर्श (sky) बन तेरे शहर में आऊं तो चलेगा क्या?
तू रात भर मुझे सोचता है ,
मैं कभी चांद बन तेरी खिड़की पर आऊं तो चलेगा क्या?
ये दिल दिमाग में जो कशमकश है उसे खत्म करना है
कुछ जख्म है जो बड़े गहरे हैं उन्हें जल्द भरना है
अगर आहिस्ता से मै तेरा अक्स(reflection) बन जाऊं तो चलेगा क्या?
मैं कभी चांद बन तेरी खिड़की पर आऊं तो चलेगा क्या?
तू शजर (tree)बन खड़ा हो शान्त सा
मैं सबा(breeze) बन तुझे गुदगुदाऊं तो चलेगा क्या?
ये लोक लाज की कफस(jail)तोड़ तेरे सीने से लग जाऊं तो चलेगा क्या?
तेरे पास आकर तुझे देख मुस्कुराऊं
तेरा हाथ थाम तेरे घर चली जाऊं
हां खास नहीं मैं बेशक जमाने के लिए
मगर तेरी हायात(life) में एक अफसून(magic)कर जाऊं तो चलेगा क्या?
मैं चांद बन तेरी खिड़की पर आऊं तो चलेगा क्या?
तू अर्धागिनी बना ले जा
मैं तेरे नाम का सिंदूर लगाऊं तो चलेगा क्या?
सुबह तुझसे जल्दी उठ
तेरे लिए गर्म चाय बना लाऊं तो चलेगा क्या?
तू हाथ थाम जो फेरे लेगा
मैं उन फेरों की कस्मों को तेरे साथ निभाऊं तो चलेगा क्या?
मैं कभी ईद
तो कभी करवाचौथ में तेरा मेहताब बन जाऊं तो चलेगा क्या?
- Nisha
मै कभी चांद बन तेरी खिड़की पर आऊं तो चलेगा क्या?
#nojotoapp