सुनो... आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या क | हिंदी कविता

"सुनो... आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या करूँ..? तुम्हारे साथ बिताए पल को याद करने के अलावा और कोई विकल्प नही है मेरे पास। काश... तुम मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से कहती "डरते क्यों हो पागल मैं हूँ ना"। खैर... ©एक गुमनाम मुशाफिर"

 सुनो...
आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या करूँ..? तुम्हारे साथ बिताए पल को याद करने के अलावा और कोई विकल्प नही है मेरे पास। काश... तुम मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से कहती "डरते क्यों हो पागल मैं हूँ ना"।
खैर...

©एक गुमनाम मुशाफिर

सुनो... आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या करूँ..? तुम्हारे साथ बिताए पल को याद करने के अलावा और कोई विकल्प नही है मेरे पास। काश... तुम मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से कहती "डरते क्यों हो पागल मैं हूँ ना"। खैर... ©एक गुमनाम मुशाफिर

#Kundan&Zoya

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