जब हम रो नहीं पाते
सुख से सो नहीं पाते
जब हम खो नहीं पाते
तब बचपन याद आता है ,
जब चिंता सताती है
हमारे तन को खाती है
जब भी मन नहीं मिलता
तब बचपन याद आता है ,
जब हम टूट जाते हैं
जब अपने रूठ जाते हैं
जब सपने सताते हैं
तब बचपन याद आता हैं ,
बच्चे रह नहीं पाते
बड़े हम हो नहीं पाते
खड़े भी रह नहीं पाते
तब बचपन याद आता है ,
किसी को सह नहीं पाते
अकेले रह नहीं पाते
किसी से कह नहीं पाते
तब बचपन याद आता है ...!!
©Shabnam Priya