खरीदने को तो पूरा ठेला ही खरीद सकते हैं, सबके नसीब | हिंदी विचार

"खरीदने को तो पूरा ठेला ही खरीद सकते हैं, सबके नसीब में डाल के पके आम थोड़ी हैं।। हो लाख आरओ का पानी व फ्रिज की ठंडाई, सबके नसीब में नल का ताजा जल थोड़ी है।। चौबीस घंटों बिजली और वातानुकूलित कमरे, सबके नसीब में बागों की ताजी हवा थोड़ी है।। ऊंचे मकानों की बालकनी में बैठ बारिश देखना, सबके नसीब में मिट्टी की सोंधी सुगंध थोड़ी है।। आदमी से मशीन होना और भागते रहना, सबके नसीब में खुले गगन के नीचे सोना थोड़ी है।। जिसे जैसे पाना ठग लेना, उगाह लेना, भरमा देना, सबके नसीब में मासूमियत, इंसानियत थोड़ी है।। ..........कौशल तिवारी . . ©Kaushal Kumar"

 खरीदने को तो पूरा ठेला ही खरीद सकते हैं,
सबके नसीब में डाल के पके आम थोड़ी हैं।।

हो लाख आरओ का पानी व फ्रिज की ठंडाई,
सबके नसीब में नल का ताजा जल थोड़ी है।।

चौबीस घंटों बिजली और वातानुकूलित कमरे,
सबके नसीब में बागों की ताजी हवा थोड़ी है।।

ऊंचे मकानों की बालकनी में बैठ बारिश देखना,
सबके नसीब में मिट्टी की सोंधी सुगंध थोड़ी है।।

आदमी   से   मशीन   होना   और   भागते   रहना,
सबके नसीब में खुले गगन के नीचे सोना थोड़ी है।।

जिसे जैसे पाना ठग लेना, उगाह लेना, भरमा देना,
सबके नसीब में मासूमियत,  इंसानियत  थोड़ी  है।।
                  
                                        ..........कौशल तिवारी




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©Kaushal Kumar

खरीदने को तो पूरा ठेला ही खरीद सकते हैं, सबके नसीब में डाल के पके आम थोड़ी हैं।। हो लाख आरओ का पानी व फ्रिज की ठंडाई, सबके नसीब में नल का ताजा जल थोड़ी है।। चौबीस घंटों बिजली और वातानुकूलित कमरे, सबके नसीब में बागों की ताजी हवा थोड़ी है।। ऊंचे मकानों की बालकनी में बैठ बारिश देखना, सबके नसीब में मिट्टी की सोंधी सुगंध थोड़ी है।। आदमी से मशीन होना और भागते रहना, सबके नसीब में खुले गगन के नीचे सोना थोड़ी है।। जिसे जैसे पाना ठग लेना, उगाह लेना, भरमा देना, सबके नसीब में मासूमियत, इंसानियत थोड़ी है।। ..........कौशल तिवारी . . ©Kaushal Kumar

#नसीब

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