#क्या तुम वही हो क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुर | हिंदी कविता

"#क्या तुम वही हो क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुरानी जिद्दोजहद, उसी पुरानी ठौर में हो ! यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है, समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है, नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए, कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं, मगर तुम हो कि बदलते नहीं ! तुम भी एक नया सूरज उगाओ ! क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ? नए विचार उगाओ ! क्यों उसी दौर में हो ! अब न कोई कयामत है न कोई जन्नत,न जहन्नुम है, जो जीते जी मिल गया , स्वर्ग है वही, नर्क है वही, कल में नहीं आज में जी ! बदलती दुनियां की घुट्टी पी! अब नूतन विचारों की नई भोर है, नया कलरव है, नया रोर है, नई दुनियां है, नया ठौर है। ©Yashpal singh gusain badal'"

 #क्या तुम वही हो
क्या तुम उसी दौर में हो ?
वही पुरानी जिद्दोजहद, उसी पुरानी ठौर में हो !
यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है,
समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है,
नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए,
कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं,
मगर तुम हो कि बदलते नहीं !
तुम भी एक नया सूरज उगाओ !
क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ?
नए विचार उगाओ !
क्यों उसी दौर में हो !
अब न कोई कयामत है
न कोई जन्नत,न जहन्नुम है,
जो जीते जी मिल गया ,
स्वर्ग है वही,
नर्क है वही,
कल में नहीं आज में जी !
बदलती दुनियां की घुट्टी पी!
अब नूतन विचारों की नई भोर है,
नया कलरव है, नया रोर है,
नई दुनियां है, नया  ठौर है।

©Yashpal singh gusain badal'

#क्या तुम वही हो क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुरानी जिद्दोजहद, उसी पुरानी ठौर में हो ! यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है, समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है, नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए, कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं, मगर तुम हो कि बदलते नहीं ! तुम भी एक नया सूरज उगाओ ! क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ? नए विचार उगाओ ! क्यों उसी दौर में हो ! अब न कोई कयामत है न कोई जन्नत,न जहन्नुम है, जो जीते जी मिल गया , स्वर्ग है वही, नर्क है वही, कल में नहीं आज में जी ! बदलती दुनियां की घुट्टी पी! अब नूतन विचारों की नई भोर है, नया कलरव है, नया रोर है, नई दुनियां है, नया ठौर है। ©Yashpal singh gusain badal'

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