सब कुछ बदल सा गया है
या शायद कुछ भी नहीं बदला
समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो
या शायद चला ही नहीं।
कल...तुम पर हावी
रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं
और...मुझ पर वही पुराना
तेरा प्यार और आवारगी दिखी।
तू आज भी चिड़िया
जैसे बंधनों की
मैं कोई पक्षी
टूटी पंखों का।
कल मैंने कुछ और भी देखा-
दूरियां एक जमाने दिखीं
पर फासला एक तिनके सा भी न था।
©Harendra Singh Lodhi
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