सब कुछ बदल सा गया है या शायद कुछ भी नहीं बदला समय | हिंदी Poetry

"सब कुछ बदल सा गया है या शायद कुछ भी नहीं बदला समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो या शायद चला ही नहीं। कल...तुम पर हावी रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं और...मुझ पर वही पुराना तेरा प्यार और आवारगी दिखी। तू आज भी चिड़िया जैसे बंधनों की मैं कोई पक्षी टूटी पंखों का। कल मैंने कुछ और भी देखा- दूरियां एक जमाने दिखीं पर फासला एक तिनके सा भी न था। ©Harendra Singh Lodhi"

 सब कुछ बदल सा गया है 
या शायद कुछ भी नहीं बदला
समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो
या शायद चला ही नहीं।

कल...तुम पर हावी
रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं
और...मुझ पर वही पुराना
तेरा प्यार और आवारगी दिखी।

तू आज भी चिड़िया
जैसे बंधनों की
मैं कोई पक्षी
टूटी पंखों का।

कल मैंने कुछ और भी देखा-
दूरियां एक जमाने दिखीं
पर फासला एक तिनके सा भी न था।

©Harendra Singh Lodhi

सब कुछ बदल सा गया है या शायद कुछ भी नहीं बदला समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो या शायद चला ही नहीं। कल...तुम पर हावी रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं और...मुझ पर वही पुराना तेरा प्यार और आवारगी दिखी। तू आज भी चिड़िया जैसे बंधनों की मैं कोई पक्षी टूटी पंखों का। कल मैंने कुछ और भी देखा- दूरियां एक जमाने दिखीं पर फासला एक तिनके सा भी न था। ©Harendra Singh Lodhi

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