मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है , तुझे देखकर इस दि | हिंदी कविता

"मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है , तुझे देखकर इस दिल ने इस गलती को दोहराने को कहा है , मोहब्बत करने को कहा है , मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है , इश्क के समुंदर में फिर से गोते लगाने का मन करा है , तेरे शहर ने तुझे दिखाकर अच्छा वेलकम कहा है , मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है।। ©ऋषभ वर्मा (R.V.)"

 मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है ,
तुझे देखकर इस दिल ने इस गलती को दोहराने को कहा है ,
मोहब्बत करने को कहा है ,
मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है ,
इश्क के समुंदर में फिर से गोते लगाने का मन करा है ,
तेरे शहर ने तुझे दिखाकर अच्छा वेलकम कहा है ,
मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है।।

©ऋषभ वर्मा (R.V.)

मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है , तुझे देखकर इस दिल ने इस गलती को दोहराने को कहा है , मोहब्बत करने को कहा है , मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है , इश्क के समुंदर में फिर से गोते लगाने का मन करा है , तेरे शहर ने तुझे दिखाकर अच्छा वेलकम कहा है , मोहब्बत का फितूर फिर से चढ़ा है।। ©ऋषभ वर्मा (R.V.)

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