White तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां मोहब्बत | हिंदी शायरी

"White तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां मोहब्बत तुम्हारी हमको यहां खींच लाई है जरिया नहीं था कोई तेरे पास आऊ मै मगर चाहत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है आंखों में कशिश यार तेरे किस बला की थी मुझे आंखे तुम्हारे पास यहां खींच लाई है जो हसरतें तुम्हारे दिल में मचलती थी मुझे वो हसरतें तुम्हारी यहां खींच लाई है मिलने हमारे पास यहां आ रही हो तुम अबकी ख़बर हवाएं यहां ठीक लाई है मुद्दतो के बाद तुमसे गले मिल रहे है हम सदियों के बाद ऐसी यहां ईद आई है तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां मोहब्बत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है ©Shoheb alam shayar jaipuri"

 White तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां
मोहब्बत तुम्हारी हमको यहां खींच लाई है

जरिया नहीं था कोई तेरे पास आऊ मै
मगर चाहत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है

आंखों में कशिश यार तेरे किस बला की थी
मुझे आंखे तुम्हारे पास यहां खींच लाई है

जो हसरतें तुम्हारे दिल में मचलती थी
मुझे वो हसरतें तुम्हारी यहां खींच लाई है

मिलने हमारे पास यहां आ रही हो तुम
अबकी ख़बर हवाएं यहां ठीक लाई है

मुद्दतो के बाद तुमसे गले मिल रहे है हम
सदियों के बाद ऐसी यहां ईद आई है

तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां 
मोहब्बत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है

©Shoheb alam shayar jaipuri

White तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां मोहब्बत तुम्हारी हमको यहां खींच लाई है जरिया नहीं था कोई तेरे पास आऊ मै मगर चाहत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है आंखों में कशिश यार तेरे किस बला की थी मुझे आंखे तुम्हारे पास यहां खींच लाई है जो हसरतें तुम्हारे दिल में मचलती थी मुझे वो हसरतें तुम्हारी यहां खींच लाई है मिलने हमारे पास यहां आ रही हो तुम अबकी ख़बर हवाएं यहां ठीक लाई है मुद्दतो के बाद तुमसे गले मिल रहे है हम सदियों के बाद ऐसी यहां ईद आई है तन्हा गुज़र रही थी मेरी जिंदगी वहां मोहब्बत तुम्हारी मुझको यहां खींच लाई है ©Shoheb alam shayar jaipuri

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