ना बढ़ सके जो तुम तो हम भी ठहरे आशिकी में
मैं आखिरी बो पत्ता रह गया जो शाख ही में
ha तेरी आस ही मैं देखती थी राह भी मैं
कारवां ये गम फरोस दर्द ही था बापिसी में
कलम से दर्द कर वया तुझे बुलायेगे
हाथ थाम तेरा हाल फिर बताएंगे
फकत किया तो ऐसा हो तेरे हो जाए हम
जो तेरे न हुए खुदा के घर को जायेगे
जो देख पाते दिल में होते क्या इल्जाम कोई
थक चुकी है आंखे जैसे सूखा दरिया कोई
पूछता है मुझसे पूरा माशरा ये अब
पूछ ले जो बाकी रह गया सबाल कोई
पर जबाब बोल दू मैं तुझको तूझसे पहले
करदो आसमा हवाले जिस्म मेरा अभी
खूब जानु मेरी जान बिन तेरे ये घर मशान
सुन ये दर्द की आवाज मुझको थाम अभी
चाल क्या चलू जिसमे तुझको हार dugi
तेरे प्यार की कसम मैं सब ये बार dugi
तुझे पसंद न हो राबता मेरा किसी से
तेरी होके पूरी जिंदगी गुजार लूंगी
क्या ख्वाब में ही बस हम तेरे हो सकते हैं
ऐसा हो तो सारी उमर हम भी सो सकते हैं
दे बता तू मुझको एक ही बजा
मैं उस बजा से जिंदगी येअपनी पूरी तन्हा ही गुजार लूंगी
मेरे प्यार का क्या कोई अब नाम नही
किया क्या कुछ न तेरे खातिर या तुझको याद नही
तू चाहे देले इल्जाम,पर जाने रब मेरा ईमान
है तुझसे प्यार कितना बस यही हिसाब नही
कितनी रातें नम थी आंखे तुने तब नही था देखा
तुझसे मिली जब भी आंखे मुस्कुरा के तुझको देखा
हसने का जिक्र तो ख़ैर छोड़े अब
तूने आसूओ को मेरे जैसे किया अनदेखा
©.....
#Soul