White समझ नहीं आता इस बेचैनी का सबब हमको क्यूँ | हिंदी शायरी

"White समझ नहीं आता इस बेचैनी का सबब हमको क्यूँ रहती है सुख़न की इतनी तलब हमको ख़ुद को पाती हूँ हर वक़्त ख़्यालों की क़ैद में कशमकश ए ज़िन्दगी से मिलेगी रिहाई कब हमको ©Rashmi rati"

 White  समझ नहीं आता  इस बेचैनी का  सबब  हमको
क्यूँ  रहती  है  सुख़न  की  इतनी  तलब  हमको
ख़ुद को  पाती  हूँ  हर वक़्त ख़्यालों  की  क़ैद में
कशमकश ए ज़िन्दगी से मिलेगी रिहाई कब हमको

©Rashmi rati

White समझ नहीं आता इस बेचैनी का सबब हमको क्यूँ रहती है सुख़न की इतनी तलब हमको ख़ुद को पाती हूँ हर वक़्त ख़्यालों की क़ैद में कशमकश ए ज़िन्दगी से मिलेगी रिहाई कब हमको ©Rashmi rati

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