तुमने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे तुमहारी | हिंदी शायरी

"तुमने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे तुमहारी आंखों के आंसू मेरी आंखों से निकल सकते थे तुम तो ठहरें झील के पानी की तरह दरिया बनते तो बहुत आगे निकल सकते थे। ©Alfaz-E-Dheeraj"

 तुमने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे
तुमहारी आंखों के आंसू मेरी आंखों से निकल सकते थे
तुम तो ठहरें झील के पानी की तरह 
दरिया बनते तो बहुत आगे निकल सकते थे।

©Alfaz-E-Dheeraj

तुमने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे तुमहारी आंखों के आंसू मेरी आंखों से निकल सकते थे तुम तो ठहरें झील के पानी की तरह दरिया बनते तो बहुत आगे निकल सकते थे। ©Alfaz-E-Dheeraj

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