तुमने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे
तुमहारी आंखों के आंसू मेरी आंखों से निकल सकते थे
तुम तो ठहरें झील के पानी की तरह
दरिया बनते तो बहुत आगे निकल सकते थे।
©Alfaz-E-Dheeraj
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