हां मैंने नजरअंदाज किया.... तुमने आंसू छुपाए मुझसे | हिंदी शायरी

"हां मैंने नजरअंदाज किया.... तुमने आंसू छुपाए मुझसे , मैने नजरअंदाज किया... कहीं तुम्हारे दर्द और बढ़ ना जाए, इसलिए कुछ ना पुछा और नजरअंदाज किया....। तुमने खुद के अनछुए दर्द कभी किसी को ना सुनाया, मैने भी नहीं पूछा नजरअंदाज किया... तुम हर बात पे ख़ामोश रहे, मैंने ख़ामोशी पर सवाल नहीं उठाया और नजरअंदाज किया.... जहां जहां तुमने लकीरें खींची, वहां -वहां .... मै रुकी और ख़ुद पर पाबंद लगाया....। तुमने अपने आंसू, सारे दर्द खामोशी से छुपाया, शायद मुझे दर्द दिखाते दिखाते तुम टूट न जाओ बस इसीलिए मैं हमेशा नासमझ रहा ... हां मैंने नजरअंदाज किया....।।Debasmita ©Debasmita Pani"

 हां मैंने नजरअंदाज किया....
तुमने आंसू छुपाए मुझसे , 
मैने नजरअंदाज किया...
कहीं तुम्हारे दर्द  और बढ़ ना जाए,
 इसलिए कुछ ना पुछा और नजरअंदाज किया....।
तुमने खुद के अनछुए दर्द कभी किसी को ना सुनाया,
मैने भी नहीं पूछा नजरअंदाज किया...
तुम हर बात पे  ख़ामोश रहे,
मैंने ख़ामोशी पर सवाल नहीं उठाया 
और नजरअंदाज किया....
जहां जहां तुमने लकीरें खींची, 
वहां -वहां ....
मै रुकी और ख़ुद पर पाबंद लगाया....।
 तुमने अपने आंसू, सारे दर्द खामोशी से छुपाया,
 शायद मुझे दर्द दिखाते दिखाते तुम टूट न जाओ
 बस इसीलिए मैं हमेशा नासमझ रहा ...
हां मैंने नजरअंदाज किया....।।Debasmita

©Debasmita Pani

हां मैंने नजरअंदाज किया.... तुमने आंसू छुपाए मुझसे , मैने नजरअंदाज किया... कहीं तुम्हारे दर्द और बढ़ ना जाए, इसलिए कुछ ना पुछा और नजरअंदाज किया....। तुमने खुद के अनछुए दर्द कभी किसी को ना सुनाया, मैने भी नहीं पूछा नजरअंदाज किया... तुम हर बात पे ख़ामोश रहे, मैंने ख़ामोशी पर सवाल नहीं उठाया और नजरअंदाज किया.... जहां जहां तुमने लकीरें खींची, वहां -वहां .... मै रुकी और ख़ुद पर पाबंद लगाया....। तुमने अपने आंसू, सारे दर्द खामोशी से छुपाया, शायद मुझे दर्द दिखाते दिखाते तुम टूट न जाओ बस इसीलिए मैं हमेशा नासमझ रहा ... हां मैंने नजरअंदाज किया....।।Debasmita ©Debasmita Pani

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