----/-//-(आवारा आँसूं)----/-//- तुम्हें पाने की च | हिंदी कविता

"----/-//-(आवारा आँसूं)----/-//- तुम्हें पाने की चाहत में न जानें कितनी दूर तलक हो आई मेरे आँसूं भी आवारा थे,साथ साथ चलते रहे। एक तुझे पाने की ख़्वाहिश,और दिल की बेचैनियां रब मेरे आँसुओं को पनाह दे,ये मेरे साथ साथ बहते चले कौंन रोके कौंन टोके कौंन समझाए इन्हें मेरे आँसू आवारा थे,जिद्दी थे मिट्टी में मिल बर्बाद होते चले , ©Richa Dhar"

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तुम्हें पाने की चाहत में न जानें कितनी दूर तलक हो आई
मेरे आँसूं भी आवारा थे,साथ साथ चलते रहे।

एक तुझे पाने की ख़्वाहिश,और दिल की बेचैनियां
रब मेरे आँसुओं को पनाह दे,ये मेरे साथ साथ बहते चले

कौंन रोके कौंन टोके कौंन समझाए इन्हें
मेरे आँसू आवारा थे,जिद्दी थे मिट्टी में मिल बर्बाद होते चले





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©Richa Dhar

----/-//-(आवारा आँसूं)----/-//- तुम्हें पाने की चाहत में न जानें कितनी दूर तलक हो आई मेरे आँसूं भी आवारा थे,साथ साथ चलते रहे। एक तुझे पाने की ख़्वाहिश,और दिल की बेचैनियां रब मेरे आँसुओं को पनाह दे,ये मेरे साथ साथ बहते चले कौंन रोके कौंन टोके कौंन समझाए इन्हें मेरे आँसू आवारा थे,जिद्दी थे मिट्टी में मिल बर्बाद होते चले , ©Richa Dhar

#pehlimulakat आवारा आँसूं

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