जवां सुम्बुल ने झूम कर ली अंगङ़ाई,
उसे आगोश़ में भर,हवा में मादकता भर आई।
महकी महकी सी फ़ज़ा,
छिटकी है चटख चाॅंदनी,
दो दिल इश्क़ के फ़ाम में रंगे
दोनों की है रज़ा।
ठंडी हवा भर रही है
जिस्म में लर्जिश।
पास है वो ,मेरे आग़ोश
अब किसे रहेगा होश।।
©Mona Chhabra