दीवारों के रंग हुए फीके रंगत तेरी ढलने से, कोने भ | हिंदी विचार

"दीवारों के रंग हुए फीके रंगत तेरी ढलने से, कोने भी जैसे बंजर हैं हँसी ना तेरी खिलने से, घर यह वीरान हुआ तेरे लबों के सिलने से, ये तस्वीरें भी कम्बख्त कुछ नहीं बोलती कब तक देखें तस्वीर तुम्हारी, चलो अब ख़ामोशी तोड़ भी दो अरसा हुआ आवाज़ सुने तुम्हारी।। ©Pawan Shah"

 दीवारों के रंग हुए फीके 
रंगत तेरी ढलने से,
कोने भी जैसे बंजर हैं
हँसी ना तेरी खिलने से,
घर यह वीरान हुआ 
तेरे लबों के सिलने से,
ये तस्वीरें भी कम्बख्त कुछ नहीं बोलती
कब तक देखें तस्वीर तुम्हारी,
चलो अब ख़ामोशी तोड़ भी दो
अरसा हुआ आवाज़ सुने तुम्हारी।।

©Pawan Shah

दीवारों के रंग हुए फीके रंगत तेरी ढलने से, कोने भी जैसे बंजर हैं हँसी ना तेरी खिलने से, घर यह वीरान हुआ तेरे लबों के सिलने से, ये तस्वीरें भी कम्बख्त कुछ नहीं बोलती कब तक देखें तस्वीर तुम्हारी, चलो अब ख़ामोशी तोड़ भी दो अरसा हुआ आवाज़ सुने तुम्हारी।। ©Pawan Shah

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