White हमने
तोड़े नहीं कभी कोई फुल
टहनियों से अनुमति लेकर
क्योंकि न तो फूलों की भाषा
हमें मालूम है और न ही
उनकी बोली
हमने तो पुरुषार्थ के कलुषित
झूठे आन में
बेबस कर दिया है
इन फूलों को
और डरा दिया है
इन टहनियों को
किताबों की चाकरी
करने वाले हम इंसान
फूलों की भाषा नहीं पढ़ पाए
हमने कभी
ईश्वर के चरणों में
तो कभी शहीद के
पांवों में
बिछाया है इन्हें
पर इनकी शहादत कौन मनाए
फूल के छोटे जीवन होते हैं
उन छोटे जीवन में
उनके भी सपने होते हैं
खिलने का फूलने का
और मुरझाने का
हम छलिए मनुष्य
किसी मुरझाए फूलों को
कभी प्रेम न किया
हमने लील ली है
फूलों के जीवन
©सौरभ अश्क
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