नववर्ष।।मंगल कामना।।
नववर्ष मंगल गीत नव, नव हर्ष अरु नव चेतना,
नवदेश वंदन प्रीत नव, उत्कर्ष अरु नव प्रेरणा।
हो नव किरण दिनकर प्रभा, नूतन ललित नव भोर हो,
हो खग चहक उत्कण्ठ नभ, नव स्वप्न ही चहुँओर हो।
निष्ठुर हृदय तज कर्म हो, निःशाप निर्मल ज्ञान हो,
लोचन दमक नवयुग सृजन, बल लेखनी का भान हो।
निःदर्प हो हर आतमा, नवरंग नव निज भावना,
नव स्वास रुधिरों में बहे, नव आस हो नव कामना।
हों भूत भय कम्पित नहीं, नव कल्पना नव शोध हो,
तजकर निशा, आलोक नव, सत्कर्म ही नव बोध हो।
©रजनीश "स्वच्छंद"
#HappyNewYear