लोग सामाजिक रिश्तों को तभी एहमियत देते हैं जबकि उन्हें इसकी जरूरत हो, या उनके नैसर्गिक रिश्तो में खटास हो चुकी होती है और जो बिखर गए होते हैं या उनमें से कोई बैकुंठ वासी हो चुका होता है क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तब उसे जरूरत महसूस होती है
©Lotus banana (Arvind kela)