प्रेम और मोह
प्रेम वह नहीं जो जंजीरों में लपेटे,
प्रेम तो वो है जो हौंसलों में उड़ान दे ,
और उसके जीने की वजह बने,
मोह या माया को प्रेम न समझ ना
मोह तो वो है जिसने चंद खुशियों के लिए ,
सबको तोड़ दिया ,
ना खुद जीत पाया और ना ही उसका प्रेम |
©shweta singh