ये तेरी गलियां अब मुझे नहीं भाती,
यहां खुशियां कभी नज़र नहीं आती।
चारों ओर वीराना ही वीराना है,
इस वीराने में तूं भी तो नहीं मुस्कुराती।
तुझ से दूर कहीं और चला जाना चाहता हूं
इस शहर को छोड़कर।
थके थके मेरे कदमों को
तेरी यादें मुझे यहां खींच लाती।
निमिषा गोस्वामी
©Nimisha Goswami
#galiyaan