कितनी दफा हम किसी कहानी को खुद में इतना ख़ास मान लेते है और उससे अपन अहम् जोड़ लेते हैं न । और फिर आप उस कहानी का एक ऐसा हिस्सा हो जाते हैं की वो कहानी तो नहीं रहती हैं पर आपका किरदार हमेशा के लिए आपके साथ रह जाता है । शायद इसलिए खुश है वो लोग जो जानते हैं की उन्हें कब किस कहानी का हिस्सा होना था और कब किस किस किरदार को खुद में घर करने देना था और कहा तक ,खासकर जब आपके किरदार का दूसरा सिरा किसी और छोर से जुड़ा हो । और कुछ वो भी होते हैं जो सफर में या तो भटक जाते हैं या हार जाते हैं , बस लौटना नहीं आता उन्हें !!
©सोचती स्याही
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