अटल सत्य (दोहे)
अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।।
मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।
अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।।
अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद।
अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।।
ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल।
अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।।
घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान।
अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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अटल सत्य (दोहे)
अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।।
मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।