अक्सर वो चुप रहता था। ये मै रोज़ देखा करती थी। सोच | हिंदी Video

"अक्सर वो चुप रहता था। ये मै रोज़ देखा करती थी। सोचा पूछूं या नहीं इसी संकोच मे रहती थीं। पर एक दिन मैने पूछ ही लिया तुम इतने उदास क्यों रहते हों यहां इतने सारे लोग है फिर भी तुम कटे कटे से क्यों रहते हों। आगे कैप्शन में देखें और पढ़े और अपनी राय ज़रूर दे 🙏🙏"

अक्सर वो चुप रहता था। ये मै रोज़ देखा करती थी। सोचा पूछूं या नहीं इसी संकोच मे रहती थीं। पर एक दिन मैने पूछ ही लिया तुम इतने उदास क्यों रहते हों यहां इतने सारे लोग है फिर भी तुम कटे कटे से क्यों रहते हों। आगे कैप्शन में देखें और पढ़े और अपनी राय ज़रूर दे 🙏🙏

तब उसने जवाब दिया कि यह देख रहें हों दीदी सामने एक रेस्टोरेंट में वहां किसी की शादी की सालगिरह बच्चों के जन्मदिन सभी मनाए जाते हैं यहां अक्सर बड़े बच्चे भी अपने दोस्तों के साथ आकर पार्टी किया करते हैं केक भी काटते हैं कितना पैसा खर्च करते हैं हम लोग यहां खड़े होकर बाहर देखते हैं और देखते ही रहते हैं मैंने पूछा क्या देखा उसने कहा कि अब थोड़ी देर रुको दीदी मैं बताता हूं थोड़ा केक काटने का इंतजार करो मैंने इंतजार किया थोड़ी देर में देखते हैं की बच्चे केक कटिंग की उसके को लेकर कोई बर्थडे बॉय के गले पर लगा रहा है मुंह पर लगा रहा है कोई कपड़ों में डाल रहा है जाने उसके के साथ क्या क्या कर रहा है हर कोई करता है। मानो ऐसा लग रहा हो की उसने जन्म लेकर बहुत बड़ा गुनाह किया कोई उसे गुल्लक की मार रहा है। तो मैंने कहा हां ऐसे लोग करते हैं मुझे अच्छा नहीं लगता पर तुम क्या बताना चाहते हो उसने बोला आपको कुछ भी समझ में नहीं आया मैंने बोला समझ में तो बहुत आया पर अगर सवाल तुमने किया है तो तुम जवाब बताओ तो उसने बोला दीदी आज मेरा भी जन्मदिन है मेरे जैसे बहुत से बच्चों का भी जन्मदिन है होता भी होगा हमारे नसीब में ऐसी पार्टियां केक कटिंग तो नहीं है पर मुझे देखकर यह आता है इतने पैसों का केक यह ऐसे ही खराब कर देते हैं हम बाहर खड़े होते हैं देखते हैं कि अगर इसमें से कुछ बच जाए तो शायद हमें भी कोई दे दे लेकिन कोई नहीं देता चाहे वह खराब ही क्यों ना हो जाए अगर यह पार्टियां कर के बाहर आ रहे होते हैं और हम कुछ मांग ले तो हमें ना जाने क्या-क्या कह कर बुलाते हैं यहां तक कि धक्का भी मार देते है। हम तो केक का स्वाद कैसा होता है यह भी नहीं जानते तो जन्मदिन मनाना तो बड़ी दूर की बात है पर यह इतने बड़े पैसे वाले हैं तो इतने फिजूलखर्ची करते हैं हम अपनी पढ़ाई के लिए घर चलाने के लिए भी तरसते हैं हमें दूसरों के घरों में काम करना पड़ता है टपरी में काम करना पड़ता है बर्तन धोने पड़ते हैं गाड़ियां साफ करनी पड़ती है और भी बहुत कुछ मजदूरी करनी पड़ती है तब भी हमें नसीब नहीं है। माना कि पैसे वाले हैं। किसी चीज का अनादर तो नहीं करना चाहिए जितना अनादर यह लोग करते हैं उससे तो कहीं लोगों का पेट भर जाता है मैं यह नहीं कहता कि यह हमें दे भगवान ने हमें जैसी जिंदगी दी है हो सकता है हम आगे भी ऐसे जिए या हो सकता है और भी अच्छी तरह जी ले पर किसानों ने बड़ी मेहनत करके अनाज उगाते हैं माता पिता बड़ी मेहनत से पैसे कमाते हैं पर शायद इन्हें उस दिन मालूम होगा की अनाज की क्या कीमत होती है ये जवाब दिल तक पहुंच गया।

#QuietPeople

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