इंसान की जिंदगी के हैं कुछ ऐसे करम यारा ठहाको के प | हिंदी शायरी

"इंसान की जिंदगी के हैं कुछ ऐसे करम यारा ठहाको के पीछे छुपा हुआ है गम खुशियों की चादर ओड़ लेने से" कमलेश" मिट नहीं जाता मन का दुःख, भरम। दुनियां में जो था,सबको खरीद लिया फिर भी लगता है ये तो अभी भी है कम। अपने नुक्स, दूसरों में ढूढ़ने का चलन है अपनी कमी न ढूढ़ने की खाई है कसम ©Kamlesh Kandpal"

 इंसान की जिंदगी के हैं कुछ ऐसे करम
यारा ठहाको के पीछे छुपा हुआ है गम 

खुशियों की चादर ओड़ लेने से" कमलेश"
मिट नहीं जाता मन का दुःख, भरम।

दुनियां में जो था,सबको खरीद लिया 
फिर भी लगता है ये तो अभी भी है कम।

अपने नुक्स, दूसरों में ढूढ़ने का चलन है 
अपनी कमी न ढूढ़ने की खाई है कसम

©Kamlesh Kandpal

इंसान की जिंदगी के हैं कुछ ऐसे करम यारा ठहाको के पीछे छुपा हुआ है गम खुशियों की चादर ओड़ लेने से" कमलेश" मिट नहीं जाता मन का दुःख, भरम। दुनियां में जो था,सबको खरीद लिया फिर भी लगता है ये तो अभी भी है कम। अपने नुक्स, दूसरों में ढूढ़ने का चलन है अपनी कमी न ढूढ़ने की खाई है कसम ©Kamlesh Kandpal

#gm

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