मिट्टी से बनी थी मिट्टी ही बन जाऊंगी , और इससे ज्य | हिंदी शायरी

"मिट्टी से बनी थी मिट्टी ही बन जाऊंगी , और इससे ज्यादा कुछ न कर पाई और ना ही कर पाउंगी .... रोती हुई आई थी, रुलाती हुई जाऊंगी पैरों की धूल हूं हवाओं में बिखर जाऊंगी ... और जब मैं इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए चले जाऊंगी.... तब देखना तुम मैं जैसी भी हूं पर तुमको जरूर याद आऊंगी.. ©Matangi Upadhyay( चिंका )"

 मिट्टी से बनी थी मिट्टी ही बन जाऊंगी ,
और इससे ज्यादा कुछ न कर पाई 
और ना ही कर पाउंगी ....
रोती हुई आई थी, रुलाती हुई जाऊंगी 
पैरों की धूल हूं हवाओं में बिखर जाऊंगी ...
और जब मैं इस दुनिया को छोड़कर 
हमेशा के लिए चले जाऊंगी....
तब देखना तुम मैं जैसी भी हूं 
पर तुमको जरूर याद आऊंगी..

©Matangi Upadhyay( चिंका )

मिट्टी से बनी थी मिट्टी ही बन जाऊंगी , और इससे ज्यादा कुछ न कर पाई और ना ही कर पाउंगी .... रोती हुई आई थी, रुलाती हुई जाऊंगी पैरों की धूल हूं हवाओं में बिखर जाऊंगी ... और जब मैं इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए चले जाऊंगी.... तब देखना तुम मैं जैसी भी हूं पर तुमको जरूर याद आऊंगी.. ©Matangi Upadhyay( चिंका )

तुमको जरूर याद आऊंगी 💓
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