White क्या कहेंगे लोग, अब इसका डर नहीं ।
इश्क है जनाब,कोई दिल्लगी नहीं ।
सिलसिला यह निगाहों का है, रिश्ते की कोई डोर अभी बंदी नहीं।
खामोशी में भी उसकी आवाज, मेरे ज़ेहन से उतरती नहीं ।
जानते हैं, ज़मीन में रहकर, चांद से इश्क सही
नहीं ।
मगर दूर से तुम्हें नेहरू, क्या इतनी सी हमारी औकात नहीं ??
हमारा इश्क ही हमारा जुनून है। इसे इबादत समझे या बगावत!!
दिल्लगी की आग कभी बुझती नहीं।।
©Anamika
#nightthoughts