a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ज़ख्म गहरा | English शायरी

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ज़ख्म गहरा है, *तो क्या*? मेरा ज़ख्म मेरा है, *कोई आवारा नहीं है* ये ग़म बस मेरा है, *कोई गैर इसमें सरीख हो* "ये मुझे गवारा नहीं है" ©अनजान मुसाफ़िर"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ज़ख्म गहरा है, *तो क्या*?
 मेरा ज़ख्म मेरा है, *कोई आवारा नहीं है* 

ये ग़म बस मेरा है, *कोई गैर इसमें सरीख हो* 
"ये मुझे गवारा नहीं है"

©अनजान मुसाफ़िर

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ज़ख्म गहरा है, *तो क्या*? मेरा ज़ख्म मेरा है, *कोई आवारा नहीं है* ये ग़म बस मेरा है, *कोई गैर इसमें सरीख हो* "ये मुझे गवारा नहीं है" ©अनजान मुसाफ़िर

#अनजान_मुसाफ़िर #अपनों_की_यादें

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