गोकुल की धूप में खिली शाम बाँसुरी बजाए मोरे नंदलाल | हिंदी Poetry Vide

"गोकुल की धूप में खिली शाम बाँसुरी बजाए मोरे नंदलाल। गोपियाँ नृत्य करें रास रचाए, प्रेम की अमृत भरी प्याल।। देखो मोहन की मिथासी मुस्कान, चंदन की खुशबू से भरे वस्त्र। सजे सजाए गोपियों के संग, दिव्य लीला में रंगे नंदकिशोर।। गोपाल की लीलाएं अनंत हैं, उनकी भक्ति में लीन हो जाओ। बस जाओ उनकी शरण में भक्ति और प्रेम से भर जाओ।। ©it's eqra "

गोकुल की धूप में खिली शाम बाँसुरी बजाए मोरे नंदलाल। गोपियाँ नृत्य करें रास रचाए, प्रेम की अमृत भरी प्याल।। देखो मोहन की मिथासी मुस्कान, चंदन की खुशबू से भरे वस्त्र। सजे सजाए गोपियों के संग, दिव्य लीला में रंगे नंदकिशोर।। गोपाल की लीलाएं अनंत हैं, उनकी भक्ति में लीन हो जाओ। बस जाओ उनकी शरण में भक्ति और प्रेम से भर जाओ।। ©it's eqra

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