क्यूकी उसे कोई नहीं समझ सकता.
वो कहना तो बहुत कुछ चाहती है.
कोई समझेगा नहीं ये सोच चुप रह जाती है.
जब वो एक बेटी होती तो ,
सोचती है ,
एक अच्छी बेटी कैसे बनके दिखाए.
एक अच्छी बहन ,अच्छी बहू ,अच्छी पत्नी ,अच्छी मां..
कैसे बनके दिखाए.
जब भी वो इन सब रिश्तों में होती है
तो पूरी कोशिश करती है उसे ,
सच्चाई से निभाने की
वो घोंट देती है गला अपने ही सपनों का,
ताकी कोई उसके अस्तित्व पर उंगली ना उठाएं..
रोती है ,छुपछुप कर पर कोई उसे देखता तक नहीं.
उम्मीद करती है ,कोई समझेगा पर कोई समझता ही नहीं.
फिर भी सारी उमर निभाती है ,इन खोकले रिश्तों को.
ये जानते हुए भी इन अपनों में भी कोई उसका अपना नहीं
सबको ढूंढते ढूंढते खो देती है ,अपने ही वजूद को..
खो जाती है कहीं गुमनामी की दुनिया में...
©Bhavna thakur
#Ladki