ज़माने की नज़र में ताउम्र रहा ग़ाफ़िल थी मगर उसको | हिंदी शायरी

"ज़माने की नज़र में ताउम्र रहा ग़ाफ़िल थी मगर उसको सारे जहां की ख़ैर-ओ-ख़बर ©Kirbadh"

 ज़माने की नज़र में ताउम्र रहा ग़ाफ़िल 
थी मगर उसको सारे जहां की ख़ैर-ओ-ख़बर

©Kirbadh

ज़माने की नज़र में ताउम्र रहा ग़ाफ़िल थी मगर उसको सारे जहां की ख़ैर-ओ-ख़बर ©Kirbadh

#ग़ाफ़िल शेरो शायरी

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