Unsplash क्या ये सही था?
प्रेम में पुरुष को मिला है संयम, दिलासाएं और इंतजार....
प्रेम में पुरुष की परेशानियाँ, उलझनें, झंझावतें और झटपटाहट उसके कमजोर होने का पैमाना भर है...
प्रेम में विलाप करता पुरुष धिक्कारा गया उसके पुरुष होने पर....
प्रेम की फसल का जब बंटवारा हुआ तो कवि, कुदरत, किताबों, कहानियों, कविताओं, कल्पनाओं, कायनात सबने नारी को ही इसका सम्पूर्ण अधिकारी माना.
क्या ये सही था ?
-Mohan
©SoldierMohan
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