और एक दिन वो मेरी जिंदगी मे आयी
दुख सारे भुला मै खुशियाँ हज़ारो लायी
जैसे ही रात होती नई नई बात होती
दूर होके भी लगता जैसे वो मेरे साथ होती
भुलाके सभी अपने
उसके साथ मे सजाये थे सपने
सपनो मे उलझा हु मै मुझको तू सुलझादे
मेरी पहले वाली ज़िन्दगी ही अच्छी
थी उसको तू लादे
भूल नहीं पाउगा वो जो दिन बिते सांग तेरे
यकीन नहीं होता तू कैसे दिल से खेली मेरे
कहाँ गया वो अब बचपन का प्यार
कहाँ गये वो तेरे वादे जो किये थे हज़ार
सपने जो मिलके देखे उनको कैसे भुला दिया
मैंने तो जिंदगी क्या सब कुछ तुझपे लूटा दिया
अक्सर नींदो से उठ जाता हूँ मै
सुनके तेरा नाम
क्यों छोड़ा तूने मुझे
क्या कर दिया मैंने ऎसा काम
चलता रहता हूँ मै कही रुक नहीं पता
समँझ नहीं आता इश्क़ इतना क्यों रुलाता
पत्थर है क्या तू जो तुझे तरस नहीं आता
दुनिया को समँझऊ मै
मगर खुदको समँझा क्यों नहीं पाता
©sansu words
alone
#Life