मुझ से तो मैं भी बेखबर हूं।
तुझे क्या मालूम होगा।
हर लम्हा कैसे गुजरता है मेरा ये वक्त भी बेखबर है।
तुझे क्या मालूम होगा।
जिंदगी के पन्ने तो यूं ही बदनाम है।
सारा दोष तो लिखावट का है।
हर शब्द से ज़िंदगी बेखबर हैं।
तुझे क्या मालूम होगा।
©Ak
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