बोझ झूठी खुशी का ढोना है हंस रहा हूँ कि मुझ को रोन | हिंदी शायरी
"बोझ झूठी खुशी का ढोना है
हंस रहा हूँ कि मुझ को रोना है
उसकी खिड़की का रेशमी पर्दा
आँख वालो का इक खिलौना है
वक़्त पड़ने पे रो नहीं सकते
बस इसी बात का तो रोना है
#SaroshAsif"
बोझ झूठी खुशी का ढोना है
हंस रहा हूँ कि मुझ को रोना है
उसकी खिड़की का रेशमी पर्दा
आँख वालो का इक खिलौना है
वक़्त पड़ने पे रो नहीं सकते
बस इसी बात का तो रोना है
#SaroshAsif