दुनिया के हर शख्स को मैंने पैसे की आग में सिकते दे | English Poetry Vi

दुनिया के हर शख्स को मैंने
पैसे की आग में सिकते देखा हैं
तुम बाज़ार में निकलकर देखो,
मैंने इंसान को बिकते देखा हैं।

मुस्कराते हुए मिलते हैं जो सामने,
अंदर से उनको भी जलते देखा हैं।
प्यार भरी  सिर्फ बातें करते हैं वो,

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