तुझसे नाराज़ होने को ये दिल हामी नहीं भरता,
हिज़्र का वक्त अब जीने में आसानी नहीं करता ।
तेरी बातों में खोकर,भूल जाता है मेरे मन की बात,
तुझसे प्यार करने में ये, कोई बेईमानी नहीं करता ।
एक मुद्दत के बाद मिला था कल एक यार पुराना,
अब वो भी मुझसे कोई, बात पुरानी नहीं करता।
चांद भी शायद रूठ गया है, मेरे मन के सपनों से,
मेरे ख़्वाबों में ये कोई अब, रात सुहानी नहीं करता ।
तुम भूल गए किरदारों को, ये उनकी किस्मत है 'राज़',
किरदारों का मरना भी अब, अंत कहानी नहीं करता।
©Rajat Pratap Singh
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