बचपन और पहला दोस्त ना अच्छा है उस बिन संडे , ना बि | हिंदी Shayari

"बचपन और पहला दोस्त ना अच्छा है उस बिन संडे , ना बिन उसके अच्छा लगता सोमवार है | उसके बिन कुछ कहे में सब समझ लू, मेरे लब खुले बिना जो सब समझ ले ऐसा वो मेरा यार है | ©ANAM SIDDIQUI"

 बचपन और पहला दोस्त ना अच्छा है उस बिन संडे ,
ना बिन उसके अच्छा लगता  सोमवार है |
उसके बिन कुछ कहे में सब समझ लू,
मेरे लब खुले बिना जो सब समझ ले ऐसा वो मेरा यार है |

©ANAM SIDDIQUI

बचपन और पहला दोस्त ना अच्छा है उस बिन संडे , ना बिन उसके अच्छा लगता सोमवार है | उसके बिन कुछ कहे में सब समझ लू, मेरे लब खुले बिना जो सब समझ ले ऐसा वो मेरा यार है | ©ANAM SIDDIQUI

#BachpanAurPehlaDost

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