सज गए पांडाल नगर नगर गली गली चौराहे चौराहे, गजानंद | हिंदी कविता

"सज गए पांडाल नगर नगर गली गली चौराहे चौराहे, गजानंद पाने आनंद तूझे हर कोई घर बुलाना चाहे,,, कलिया सारी बाग की राहो मे बिछने को तेरी खिल गई,, मुस्कुरा उठी बगिया,जन्मो की मानो खुशियाँ मिल गई,,, मूषक की सवारी तेरी बड़ी मनमोहक बड़ी प्यारी लगे, तेरे चरण कमलों की धुली से सोये सारे भाग जगे,,, अर्पण तूझे प्रिय मोदक स्वीकार करो है मेरे लम्बोदर, पैर स्वतः ही थिरके तेरे गीतों मे, तेरी भक्ति मे खोकर, हरते क्लेश, महेश पुत्र गणेश माँ गोरा के लाल विशेष, समर्पित हो तूझे पल पल ध्याए तेरी कृपा बरसे अशेष,, आओ गजानंद आनंद का रस निरस जीवन पे बरसे, रिद्धि सिद्धि को भी संग लाओ सबके मन हर्ष हर्ष हरषै,, ✍️नितिन कुवादे... . . . ©Nitin Kuvade"

 सज गए पांडाल नगर नगर
गली गली चौराहे चौराहे,
गजानंद पाने आनंद तूझे हर
कोई  घर  बुलाना  चाहे,,,
कलिया सारी बाग की राहो मे
बिछने को तेरी खिल गई,,
मुस्कुरा उठी बगिया,जन्मो की 
मानो  खुशियाँ  मिल  गई,,,
मूषक  की  सवारी  तेरी  बड़ी
मनमोहक बड़ी प्यारी लगे,
तेरे चरण कमलों की धुली से
सोये   सारे  भाग  जगे,,,
अर्पण तूझे प्रिय मोदक स्वीकार
करो है  मेरे  लम्बोदर,
पैर स्वतः ही थिरके तेरे गीतों मे,
तेरी भक्ति  मे  खोकर, 
हरते क्लेश, महेश पुत्र गणेश
माँ गोरा के लाल  विशेष,
समर्पित हो तूझे पल पल ध्याए
तेरी कृपा  बरसे  अशेष,,
आओ गजानंद आनंद का रस
निरस जीवन पे बरसे,
रिद्धि सिद्धि को भी संग लाओ
सबके मन हर्ष हर्ष हरषै,,
✍️नितिन कुवादे...
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©Nitin Kuvade

सज गए पांडाल नगर नगर गली गली चौराहे चौराहे, गजानंद पाने आनंद तूझे हर कोई घर बुलाना चाहे,,, कलिया सारी बाग की राहो मे बिछने को तेरी खिल गई,, मुस्कुरा उठी बगिया,जन्मो की मानो खुशियाँ मिल गई,,, मूषक की सवारी तेरी बड़ी मनमोहक बड़ी प्यारी लगे, तेरे चरण कमलों की धुली से सोये सारे भाग जगे,,, अर्पण तूझे प्रिय मोदक स्वीकार करो है मेरे लम्बोदर, पैर स्वतः ही थिरके तेरे गीतों मे, तेरी भक्ति मे खोकर, हरते क्लेश, महेश पुत्र गणेश माँ गोरा के लाल विशेष, समर्पित हो तूझे पल पल ध्याए तेरी कृपा बरसे अशेष,, आओ गजानंद आनंद का रस निरस जीवन पे बरसे, रिद्धि सिद्धि को भी संग लाओ सबके मन हर्ष हर्ष हरषै,, ✍️नितिन कुवादे... . . . ©Nitin Kuvade

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