"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद,
आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज।
हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात,
दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ,
मयखाना खोल दो, मिले हैं यार दो साल बाद।"
हर दिल से मिटा दो दूरी की साज़िश,
महफ़िल को बना दो जन्नत की सौगात।"
©नवनीत ठाकुर
"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद,
आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज।
हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात,
दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ,
मयखाना खोल दो, मिले हैं यार दो साल बाद।"